पशुधन से खेती मे लाभ ही लाभ
पिछले वर्ष मिर्च की फसल से खरगौन जिले के मिर्च उत्पादन करने वाले किसानों ने अच्छे उत्पादन एवं मूल्य के कारण अत्यधिक लाभ कमाया। परंतु इस वर्ष मिर्च की फसल मे वाइरस का प्रकोप अत्यधिक होने से मिर्च की फसाल वाइरस ने न बच पाई। ऐसी विपरीत स्थिति मे भी एक किसान परिवार ऐसा है जिनकी मिर्च की फसल की पैदावार लगभग पिछले वर्ष की भांति ही हुई है। गाँव के अन्य किसान भाइयों ने इनसे पूछ की – “सभी की फसल बिगड़ गयी है परंतु आपकी फसल नहीं, ऐसा क्यूँ?”
कृषक श्री रमेश जी पाटीदार एवं उनके सुपुत्र श्री राजा पाटीदार, ग्राम गंधावड़, ब्लॉक सेगाँव, जिला खरगोन, पिछले कई वर्षो से मिर्च की खेती कर रहे है। वे बहुत कम रकबे मे ही (लगभग 1 हेक.) मिर्च की खेती करते है, परंतु प्रतिवर्ष वे मिर्च की फसल लगाते अवश्य है। अपने छोटे से रकबे मे वे 5 लाख रु. प्रति एकड़ का उत्पादन लेने वाले किसान है। इस वर्ष प्रतिकूल परिस्थिति में भी इनकी मिर्च की फसल का उत्पादन पूर्व के वर्षों की भांति ही रहा है। मिर्च उत्पादन के इनके इस अद्भुत कौशल पर कई किसानों ने जब इनसे इसका रहस्य पूछा तब श्री रमेश जी ने बताया की – ” मेरी अच्छी फसल का रहस्य है – मेरा पधुधन। मेरे पास कुल सत्रह पशु है। लंबे समय से मेरे पास हमेशा पर्याप्त पशुधन रहा है। और कई वर्षों से इस पशुधन की गोबर खाद अनिवार्य रूप मे खेतों में डाली जा रही है। मैं वही खाद, दवाई आदि कर रहा हूँ जो अन्य सभी किसान कर रहे है, बस गोबर खाद पिछले कई वर्षों से हमारी कृषि का प्रमुख हिस्सा बना हुआ है। और यही मुख्य अंतर इस वर्ष विपरीत परिस्थिति मे स्पष्ट दिखाई पड़ा।
श्री रमेश जी आगे बताते है की – “कुछ कृषक मुझे कहते है की हमने पिछले वर्ष भी एवं इस वर्ष भी पर्याप्त गोबर का खाद डाला है, परंतु फिर भी फसल खराब हो गयी है। ऐसे मे मेरे उनसे कहना है की इस वर्ष एवं पिछले वर्ष का गोबर का खाद इसी वर्ष कोई लाभ न देंगे। ये पुराने वर्षो का गोबर आज लाभ दे रहा है उसी प्रकार इस वर्ष का गोबर-खाद आने वाले वर्षो मे फसलों को टॉनिक देगा।”
पता:
श्री रमेश पाटीदार ग्राम गंधावड़, विकासखंड - सेगाँव, जिला खरगौन, म.प्र. मोबाइल न. - 95759 25884