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महेश्वरी साड़ी

प्रकार:  
हस्तशिल्प हथकरघा
महेश्वरी साड़ी

महेश्वरी साड़ियाॅ – महेश्वर का वैभव व गौरव है। महेश्वरी साड़ी अपने अनुठे ज्यामितिक व नक्काषीदार डिजाईनों एवं रंग संयोजनों से सुसज्जित राजसी वैभव व आन -बान का प्रतीक है। महेश्वर साड़ियाॅ मुख्यतः पिटलूम अर्थात् जमीन में गड़ी हुई करघो पर ही बनाई जाती है ! किन्तु आज कल यह फे्रम लूम पर भी बनाया जाता है! मंहगी लकड़ी और आसानी से न प्राप्त होने के कारण लकड़ियों का स्थान अब लोहे ने ले लिया है। अब करघों में फे्रम लोहे द्वारा बनाया जाता है। महेश्वरी साड़ी की बुनाई सादी होती है। किन्तु चैकड़ी,धारी अन्य धागों के प्रयोग से इसमें विविधता लाई जाती है।

जी.आई.टैग पंजीयन – महेश्वरी साड़ी एवं ड्रेस मटेरियल का रैजिस्ट्रार, भौगोलिक उपदर्षन भारत सरकार चेन्नई द्वारा भौगोलिक उपदर्शन रजस्ट्रीकरण तथा संरक्षण अधिनियम, 1999 के तहत रजिस्ट्रेशन किया गया है । महेश्वरी साड़ी एवं ड्रेसमटेरियल का भौगोलिक उपदर्षन संख्या 197 दिनांक 08.02.2010 है।

महेश्वरी साड़ी के प्रकार – गर्भ रेशमी साड़ी, रेशमी साड़ी, नीम रेशमी साड़ी, कतान साड़ी, सेवेन्टी फाईव साड़ी, टीषु साड़ी, मर्सराइज्ड रास्ता डिजाईन साड़ी, मर्सराईज्ड चेक्स डिजाईन साड़ी, आदि इसी के साथ इन्ही व्हेराइटी के सलवार सूट आदि भी निर्मित किए जाते है । वर्तमान में उक्त के अतिरिक्त ड्रेस मटेरियल, स्कार्फ, दुपट्टे, फर्निसिंग आदि का भी उत्पादन कार्य किया जा रहा है।

रोजगार एवं उत्पादन – महेश्वर जिला खरगोन की वर्तमान स्थिति में 3120 हाथकरघे कार्यशील है, जिन पर प्रतिकरघा 03 व्यक्ति रोजगार के मान से कुल 9360 बुनकर बुनाई एवं सहायक कार्यो में संलग्न है। यहाॅ का उत्पादन प्रतिमाह लगभग 03.20 लाख मीटर जिसकी लागत लगभग 776.35 लाख एवं वार्षिक उत्पादन 38.50 लाख मीटर है जिसकी लागत लगभग 9316.20 लाख है।