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नन्दी शाला योजना (अनुदान पर प्रजनन योग्य देशी वर्णित गौसांड का प्रदाय)

दिनांक : 01/08/2006 - | सेक्टर: पशु पालन

योजना प्रारम्भ होने की दिनांक

01.08.2006

योजना का विवरण

1. ग्राम पंचायत स्तर पर प्रगतिशील पशुपालकों को अनुदान पर देशी वर्णित नस्ल गौ-सांड यथा साहीवाल,थरपारकर,हरियाणा,गिर,गौलव,मालवी,निमाडी,केनकथा आदि नस्ल के प्रदाय ।
2. एक देशी वर्णित नस्ल गौ-सांड यथा साहीवाल,थारपारकर,हरियाणा,गिर,गौलव,मालवी,निमाडी,केनकथा आदि नस्ल के प्रदाय । प्रदायित सांड के प्रथम 60 दिवस के लिए पशु आहार
3. प्रदेश के बाहर के देशी वर्णित गौ-सांड की इकाई लागत (परिवहन, पशु बीमा, प्रदायित सांड के प्रथम 60 दिवस के लिए पशु आहार, प्रशिक्षण बुकलेट एवं माॅनिटरिंग कार्ड सहित) रू. 25720.00 प्रदेश के नस्ल के देशी वर्णित गौ-सांड की इकाई लागत रू 18260.00

हितग्राही

(जैसे गरीबी रेखा के नीचे जीवन व्यापन करने वाले अथवा वरिष्ठ नागरिक नागरिक अथवा शिक्षार्थी आदि)

सभी वर्ग के पशुपालक जिनके पास पर्याप्त कृषि भूमि के साथ न्यूनतम 5 गौवंशीय पशुधन या जिनके पास कृषि भूमि नही है किन्तु 20 या उससे अधिक पशु है।

हितग्राही को होने वाले लाभ

1. प्रति इकाई अनुदान 75 प्रतिशत सभी वर्ग के पशुपालक. 2. हितग्राही अंशदान 25 प्रतिशत

योजना का लाभ कैसे लें

(आवेदन की बिन्दूवार सम्पूर्ण प्रक्रिया)

1. आवेदक संबंधित ग्राम पंचायत को आवेदन पत्र प्रस्तुत करेगा ।
2.खण्ड स्तरित पशु चिकित्सा विस्तार अधिकारी संबंधित जनपद पंचायत मे आवेदनों पर अनुमोदन प्राप्त करेगा।
3. उपसंचालक प्राप्त प्रकरणों को उपलब्ध बजट अनुसार जिला पंचायत की कृषि स्थाई समिति में अनुमोदनार्थ प्रस्तुत कर अनुमोदन प्राप्त करेगा।
4. चयन¨पराँत पशु चिकित्सा विभाग से अनुबंध करना अनिवार्य होगा।
5. अन्य शर्ते जो विभाग द्वारा लागू की गई है।

लाभार्थी:

सभी वर्ग के हितग्राही, जिनके पास न्यूनतम 05 देशी गौ वंशीय पशु तथा हारा चारा उत्पादन हेतु भूमि उपलब्ध हो । भूमिहीन पशुपालको के पास कम से कम 20 गौ वंशीय पशु होना आवश्यक है ।

लाभ:

पशु पालक की स्वयं के पशुओ का नस्ल सुधार तथा प्राकृतिक सेवाओ के बदले सेवा राशि प्राप्त कर आर्थिक लाभ प्राप्त करना ।

आवेदन कैसे करें

पशुपालन विभाग की निकटतम पशु चिकित्सा संस्था से संपर्क कर आवकदन प्राप्त करे । हितग्राही अंश (25%) जमा करने हेतु संयुक्त खाता खोलकर पास बुक की छायाप्रति प्रस्तुत करने पर शासकीय अनुदान जमा किया जावेगा । सॉड प्राप्त होने पर बैंक खाते से राशि आहरित कर पशु प्रदायकर्ता को सोपी जावेगी।