मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम
योजना प्रारंभ होने की दिनांक |
15 अगस्त, 1995 |
योजना का विवरण |
मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम भारत सरकार की मानव संसाधन विकास मंत्रालय व स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के दिशा निर्देशों के अनुरूप क्रियान्वित किया जाता है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग इसका नोडल विभाग है। मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम भारत सरकार एवं राज्य शासन के संयुक्त संसाधनों से क्रियान्वित किया जाता है। मध्यप्रदेश में मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम का क्रियान्वयन वर्ष 1995 से प्रारंभ किया गया है। (कच्चे खाद्यान्न के रूप में भोजन दिया जाता था) वर्ष 2001 में पके हुए भोजन के रूप में दलिया व खिचड़ी का वितरण किया जाता था। वर्ष 2004 से रूचिकर मेनू अनुसार भोजन प्रदाय किया जाने लगा। वर्ष 2008 से म.प्र. के सभी शासकीय एवं अनुदान प्राप्त शालाओं में कार्यक्रम लागू किया गया। जुलाई 2017 से मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम के ई-मॉनिटरिंग पोर्टल को शिक्षा विभाग के पोर्टल से लिंक किया गया है। तदनुसार समूहों को भोजन पकाने की राशि रसोईयन का मानदेय खाद्यान्न एवं शाला प्रबंधन समिति को अन्य आवष्यक राशियॉ सीधे बैंक खातों में अंतरित की जा रही हैं। |
हितग्राही (जैसे गरीबी रेखा के नीचे जीवन व्यापन करने वाले अथवा वरिष्ट नागरिक अथवा शिक्षार्थी आदि) |
जिले के समस्त शासकीय प्राथमिक एवं माध्यमिक शालाओं, अनुदान प्राप्त शालाओं एवं शासन द्वारा पंजीकृत मदरसों एवं राष्ट्रीय बाल श्रम शालाओं में अध्ययनरत विद्यार्थी, महिला स्वसहायता समूह के सदस्यगण, रसोईयन। |
हितग्राही को होने वाले लाभ
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प्राथमिक शालाओं में – प्रति दिवस 100 ग्राम गेहू/चावल प्रति विद्यार्थी, मध्यान्ह भोजन पकाने हेतु संलग्न क्रियान्वयन एजेंसी (महिला स्वसहायता समूह) को रू. 4.97 पैसे प्रति दिवस राज्य शासन द्वारा सीधे संबंधितों के बैंक खातों में अंतरित किया जाता है, लॉकडाउन अवधि में शालाऍ बंद होने से यह राशि माह जुलाई तक सीधे विद्यार्थियों के खातों में अंतरित की गई है । माध्यमिक शालाओं में – प्रति दिवस 150 ग्राम गेहू/चावल, मध्यान्ह भोजन पकाने हेतु संलग्न क्रियान्वयन एजेंसी (महिला स्वसहायता समूह) को रू. 7.45 पैसे प्रति दिवस राज्य शासन द्वारा सीधे संबंधितों के बैंक खातों में अंतरित किया जाता है, लॉकडाउन अवधि में शालाऍ बंद होने से यह राशि माह जुलाई तक सीधे विद्यार्थियों के खातों में अंतरित की गई है । माह अगस्त से अक्टूबर तक खाद्य सुरक्षा भत्ता अंतर्गत प्राथमिक शाला में प्रति विद्यार्थी तुअर दाल 2 किलो, सोया तेल 525 ग्राम एवं माध्यमिक शाला में तुअर दाल 3 किलो, सोया तेल 783 ग्राम केन्द्रीय भण्डारगृह द्वारा बीआरसी स्तर पर निर्धारित भण्डारगृह तक सूखा राशन सामग्री का परिवहन की व्यवस्था की जावेगी । बीआरसी अपने अधीनस्थ जनशिक्षकों के सहयोग से तथा स्वसहायता समूहों/शाला प्रबंधन समिति के माध्यम से ग्राम/शालास्तर पर पहुचाना सुनिश्चित करेंगे। सामग्री के परिवहन एवं वितरण हेतु प्रतिकिलो 6.40 के मान से प्राथमिक शाला हेतु कुल राशि रू. 16.30/- एवं माध्यमिक शाला के लिए राशि रू. 24.28/- समूहों के खाते में सीधे राज्य स्तर से अंतरित किए जावेंगे । जिले के चयनित अतिकुपोषित विकासखण्ड भगवानपुरा, झिरन्या एवं बडवाह है जिनमें प्राथमिक शाला के विद्यार्थियों हेतु गुड़ एवं मूंगफली के दाने की चिक्की (प्रति छात्र 25 ग्राम के मान से 80 दिवस हेतु 02 किलो) का वितरण दो फेस में प्रथम 40 दिवस एवं द्वितीय 40 दिवस के लिए किया जावेगा। इसी प्रकार शासन द्वारा रसेाईयन का मानदेय रू. 2000/- प्रतिमाह सीधे उनके बैंक खातों में अंतरित किया जाता है। |
लाभार्थी:
जिले के समस्त शासकीय प्राथमिक एवं माध्यमिक शालाओं, अनुदान प्राप्त शालाओं एवं शासन द्वारा पंजीकृत मदरसों एवं राष्ट्रीय बाल श्रम शालाओं में अध्ययनरत विद्यार्थी, महिला स्वसहायता समूह के सदस्यगण, रसोईयन।
लाभ:
प्राथमिक शालाओं में - प्रति दिवस 100 ग्राम गेहू/चावल प्रति विद्यार्थी, मध्यान्ह भोजन पकाने हेतु संलग्न क्रियान्वयन एजेंसी (महिला स्वसहायता समूह) को रू. 4.97 पैसे प्रति दिवस राज्य शासन द्वारा सीधे संबंधितों के बैंक खातों में अंतरित किया जाता है, लॉकडाउन अवधि में शालाऍ बंद होने से यह राशि माह जुलाई तक सीधे विद्यार्थियों के खातों में अंतरित की गई है । माध्यमिक शालाओं में - प्रति दिवस 150 ग्राम गेहू/चावल, मध्यान्ह भोजन पकाने हेतु संलग्न क्रियान्वयन एजेंसी (महिला स्वसहायता समूह) को रू. 7.45 पैसे प्रति दिवस राज्य शासन द्वारा सीधे संबंधितों के बैंक खातों में अंतरित किया जाता है, लॉकडाउन अवधि में शालाऍ बंद होने से यह राशि माह जुलाई तक सीधे विद्यार्थियों के खातों में अंतरित की गई है । माह अगस्त से अक्टूबर तक खाद्य सुरक्षा भत्ता अंतर्गत प्राथमिक शाला में प्रति विद्यार्थी तुअर दाल 2 किलो, सोया तेल 525 ग्राम एवं माध्यमिक शाला में तुअर दाल 3 किलो, सोया तेल 783 ग्राम केन्द्रीय भण्डारगृह द्वारा बीआरसी स्तर पर निर्धारित भण्डारगृह तक सूखा राशन सामग्री का परिवहन की व्यवस्था की जावेगी । बीआरसी अपने अधीनस्थ जनशिक्षकों के सहयोग से तथा स्वसहायता समूहों/शाला प्रबंधन समिति के माध्यम से ग्राम/शालास्तर पर पहुचाना सुनिश्चित करेंगे। सामग्री के परिवहन एवं वितरण हेतु प्रतिकिलो 6.40 के मान से प्राथमिक शाला हेतु कुल राशि रू. 16.30/- एवं माध्यमिक शाला के लिए राशि रू. 24.28/- समूहों के खाते में सीधे राज्य स्तर से अंतरित किए जावेंगे । जिले के चयनित अतिकुपोषित विकासखण्ड भगवानपुरा, झिरन्या एवं बडवाह है जिनमें प्राथमिक शाला के विद्यार्थियों हेतु गुड़ एवं मूंगफली के दाने की चिक्की (प्रति छात्र 25 ग्राम के मान से 80 दिवस हेतु 02 किलो) का वितरण दो फेस में प्रथम 40 दिवस एवं द्वितीय 40 दिवस के लिए किया जावेगा। इसी प्रकार शासन द्वारा रसेाईयन का मानदेय रू. 2000/- प्रतिमाह सीधे उनके बैंक खातों में अंतरित किया जाता है।
आवेदन कैसे करें
मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम भारत सरकार की मानव संसाधन विकास मंत्रालय व स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के दिशा निर्देशों के अनुरूप क्रियान्वित किया जाता है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग इसका नोडल विभाग है। मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम भारत सरकार एवं राज्य शासन के संयुक्त संसाधनों से क्रियान्वित किया जाता है।